पहली बार अमेरिका की स्टेट विजिट यानी राजकीय यात्रा पर पहुंचे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत
ऐसे किया गया जैसा हाल के वर्षों में किसी दूसरे वैश्विक नेता का नहीं किया गया है। व्हाइट हाउस में पीएम
नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई Bilateral talk यानी द्विपक्षीय वार्ता ने भारत व
अमेरिका के रिश्ते में एक नए युग की शुरुआत कर दी है। हालांकि, पीएम मोदी कई बार ऑफिशियल यात्राओं
और क्वाड नेताओं की बैठक जैसे मल्टीलेटरल (multilateral) programs यानी बहुपक्षीय कार्यक्रमों में भाग
लेने के लिए अमेरिका गए हैं... लेकिन फिर उनकी ये पहली स्टेट विजिट इतनी अहम क्यों मानी जा रही है?
इसके मायने क्या हैं और स्टेट विजिट का क्या मतलब है
9 साल में पीएम नरेंद्र मोदी कई बार अमेरिकी गए, लेकिन ये
विजिट एकदम अलग हैं.... पहली बार प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका की स्टेट विजिट पर हैं, इसका मतलब है कि
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के invitation पर नरेंद्र मोदी ऑफिशियल स्टेट विजिट पर हैं। बहुत कम लोगों
को पता हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान एक साल में किसी एक राष्ट्राध्यक्ष को ही स्टेट
विजिट पर बुला सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की ये स्टेट विजिट 21 जून से 24 जून तक है, 21 जून को पीएम अमेरिका पहुंचे, यहां ईस्ट
कोस्ट के सबसे बड़े शहर, न्यू यॉर्क के यूनाइटेड नेशंस के हेडक़्वॉर्टर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में
शामिल हुए, पीएम के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष सिसाबा कोरीसी, उप महासचिव
अमीना मोहम्मद और न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक ऐडम्स शामिल हुए थे योग कार्यक्रम से पहले टेस्ला और
ट्विटर के मालिक एलन मस्क भी नरेंद्र मोदी से मिले, जिन्होंने मीडिया से कहा कि वो नरेंद्रे मोदी से मिलने के
वो उनके फैन हो गए हैं।
न्यू यॉर्क में अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद, पीएम राजधानी वॉशिंगटन डीसी के लिए निकलें, 22
जून की सुबह वाइट हाउस में उनका जबरजस्त स्वागत किया गया। फिर पीएम मोदी और बाइडन के बीच
आर्थिक सहयोग और दूसरे मुद्दों पर चर्चा हो गई। मुलाक़ात के बाद, मोदी अमेरिका की संसद कांग्रेस के संयुक्त
सत्र को संबोधित किया, ये मौक़ा उन्हें दूसरी बार मिला है। संबोधन के बाद उनको State banquet में डिनर
नाइट के लिए इन्वाइट किया गया।
इसके बाद, 23 जून को वो उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ लंच करेंगे, फिर
उनका कॉरपरेट जाइंट्स के मालिकों से बातचीत का कार्यक्रम है। इसमें भारत में बिज़नेस और निवेश की
संभावना पर चर्चा हो सकती है। 23 जून की शाम PM मोदी, रोनाल्ड रीगन सेंटर में भारतीय मूल के लोगों को
संबोधित करेंगे। इसके बाद यूएस यात्रा समाप्त।
क्योंकि 24 जून को मोदी मिस्र के राजकीय दौरे पर निकल जाएंगे। इस साल जब मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह
अल-सीसी रिपब्लिक डे की परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे, तभी उन्होंने पीएम मोदी को मिस्र आने
का न्यौता दिया था। मिस्र का उनका दौरा दो दिनों का है। 25 जून को उनका विमान वापस भारत के लिए
उड़ान भरेगा।
ये तो रही पीएम के स्टेट विजिट कार्यक्रमों की बात आईए अब जानते हैं कि अमेरिकी विजिट के क्या मायने हैं।
स्टेट विजिट और डिनर यह बताता है कि दोनों देशों के साझा विचार, लक्ष्य और उद्देश्य क्या हैं, जिनके लिए
दोनों देश एकजुट होकर काम कर सकते हैं। अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है, लिहाजा.... व्हाइट
हाउस में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है। कई देशों के शीर्ष नेता व्हाइट हाउस
के कार्यक्रमों में शिकरत करना चाहते हैं। यह उनके लिए, उनके देश में उनकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय मंच
पर फायदेमंद साबित होती है, स्टेट विजिट और डिनर नाइट पर इनवाइटेड नेता को लेकर सभी देश यह
स्वीकार करने लगते हैं कि उनके अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ अच्छे संबंध हैं।
स्टेट विजिट के दौरान कई चरणों में राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम की मुलाकात के बाद से दोनों देशों की
तरफ से रक्षा, कारोबार, अंतरिक्ष और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में सहयोग की जो बड़ी घोषणा की गई है वो
बदलते वैश्विक समीकरण को बखूबी बयां कर रहा है।
भारत में अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस की तरफ से युद्ध विमान का इंजन बनाने से लेकर माइक्रोन की तरफ
से भारत में सेमी कंडक्टर निर्माण प्लांट लगाने और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग तक की घोषणा शामिल है हमारे
शिक्षा भारतीय पेशेवरों के लिए ज्यादा सहूलियत की भी घोषणा की है जो दोनों देशों को और करीब लायेगा।
व्हाइट हाउस ने ये भी बताया कि दोनों देश चांद मंगल व अंतरिक्ष के दूसरे क्षेत्रों के रहस्यों का पता लगाने के
लिए साझा अभियान चलाएंगे यह बदलते वैश्विक परिवेश का संकेत है अभी तक अंतरिक्ष में रूस भारत का
सबसे करीबी देश रहा है।
इसके साथ ही पीएम मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों के बारे में बात करेंगे
आपको बता दें कि अमेरिका भी मान रहा है कि इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन को काउंटर करने और शांति के
लिए भारत का साथ जरूरी है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हुए
हैं।
पीएम की अमेरिका की स्टेट विजिट को दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता का संकेत माना जा रहा है।
तो दोस्तों उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसन्द आई होगी