Wrestlers Protest vs Brij Bhushan Singh | Wrestlers Demand & Govt. Stand | Explained #jantarmantar


मुझे फांसी दे दो, मगर खेल मत रोको ये बोल किसी और के नहीं बल्कि Wrestling Federation of India के

President और कैसरगंज से बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के हैं, जिन पर देश के प्रतिभाशाली कुश्ती

खिलाड़ियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, आज कि विडियो में बात बृजभूषण शरण सिंह  कि ... 

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कौन है बृज भूषण सिंह

बृजभूषण सिंह की गिनती दबंग नेताओं में होती है, वे उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं और कैसरगंज

लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद है। स्टूडेंट लाइफ से ही पॉलिटिक्स में काफी एक्टिव रहें हैं,

इनका युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुज़रा, पहलवान के तौर पर बृजभूषण ख़ुद को 'शक्तिशाली' बताते हैं। 

कॉलेज के दौर में ही ये student union के president चुने गए और यहां से शुरू होता है इनका पॉलिटिकल

कैरियर.... साल 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले बृज भूषण सिंह, 1999, 2004, 2009 तक

समाजवादी पार्टी से लोकसभा के सदस्य रहे और साल 2014 में इन्होंने बीजेपी का दामन थामा। साल 2014

और 2019 में भी ये बीजेपी से लोकसभा सदस्य बने हुए हैं। 

बृजभूषण शरण सिंह समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबियों में भी गिने जाते हैं।

बृभूषण शरण सिंह की दबंगई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार

के दौरान इन्होंने मायावती को अपशब्द तक कहा दिया था। रांची में अंडर-15 राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में

इन्होंने एक पहलवान को मंच पर ही थप्पड़ जड़ दिया था। करण यह प्रतियोगिता 15 वर्ष के पहलवानों की थी

और कथित पहलवान की उम्र 15 साल से अधिक थी। लिहाजा उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया, यह

पहलवान उत्तर प्रदेश से था और खुद को प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए बृजभूषण के पास अपनी बात रखने

मंच पर चढ़ गया था। इसके बाद बृजभूषण ने गुस्से में आपा खोते हुए उसे थप्पड़ जड़ दिया था।

हालांकि ये पहली बार नहीं है जब बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में आवाज उठाई जा रही है, यह

पूरा मामला जनवरी में शुरू हुआ था जब पहलवानों ने पहली बार बृजभूषण के खिलाफ धरना किया था। तब

पहलवानों को खेल मंत्रालय ने बृजभूषण के खिलाफ जांच की बात कही थी और पहलवानों ने धरना खत्म कर

दिया था। अब फिर से यह मामला 23 अप्रैल 2023 को सामने आया जब विनेश फोगाट से लेकर गीता फोगाट,

साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर यह कहते

हुए प्रर्दशन पर बैठ गए कि अभी तक बृजभूषण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

हालांकि, बृजभूषण की ओर से एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने नियमों में बदलाव का हवाला दिया

था और कहा था कुश्ती में नियमों के बदलाव की वजह से ही पहलवान नाराज हैं और धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।

यौन शोषण के आरोपों को बृजभूषण कई बार खारिज कर चुके हैं। उनका कहना है- यौन उत्पीड़न की कोई घटना

नहीं हुई है। अगर आरोप सच निकले तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। मैं किसी भी प्रकार की जांच के लिए तैयार

हूं। बृजभूषण ने दावा किया था कि सारे आरोप प्लानिंग के तहत लगाए गए हैं। उन्होंने कहा था कि किसी भी


खिलाड़ी ने ओलंपिक के बाद कोई नेशनल लेवल का मैच नहीं खेला। ट्रायल को लेकर भी फेवर चाहते हैं। वे

चाहते हैं कि उन्हें ट्रायल न देना पड़े और कोई नियम न बने।

हालांकि, बृजभूषण के इन आरोपों को पहलवानों ने सिरे से खारिज कर दिया था। पहलवानों ने जवाब देते हुए

कहा था कि अगर उन्हें ट्रायल से परेशानी होती तो ओलंपिक या किसी भी completion में खेलकर वह पदक कैसे

जीत पाते। एक पहलवान को कुश्ती करने से क्या समस्या हो सकती है। वो खुद भी गेम्स में जाते हैं और अन्य

अधिकारियों को भी साथ ले जाते हैं, इसकी जगह अगर हमारे कोच या फिसिजिन जाएं तो हमें गेम में सपोर्ट

मिलेगा। 

बृजभूषण का कहना है कि '' Federation ने दुनिया के कई देशों के नियमों का अध्ययन करने के बाद हमने

ओलंपिक खेलने  से पहले ट्रायल का नियम बनाया है। 

दरअसल, नवंबर 2021 में Wrestling Federation of India ने कई नियमों में बदलाव किए हैं। इसमें तय हुआ

था कि ओलंपिक के लिए कुश्ती इवेंट में खिलाड़ियों को चुनने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले

खिलाड़ियों को भी ट्रायल्स में भाग लेने के लिए कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओलंपिक से पहले कई

अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स होते हैं, और ओलंपिक के खिलाड़ियों का चयन पहले ही हो जाता है, जिसमें काफी

परेशानियां आती है।

इन नियमों के आने से हरियाणा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया था। पहलवानी में ज्यादातर खिलाड़ी

हरियाणा के हैं और वो ओलंपिक कोटा हासिल कर लेते हैं। कुश्ती संघ का कहना था कि ट्रायल्स के जरिये

पहलवानी में कमजोर राज्यों को भी मौका मिलना चाहिए, इसके लिए ये नियम बनाए गए हैं यदि कोई रेसलर

इसमें प्रतिभाग नहीं करेगा तो आगे के जो खिलाड़ी हैं उन्हें मौका मिलेगा। क्योंकि कुश्ती में ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा

से ही आते हैं। 

ओलंपिक में हरियाणा के एथलीट की हिस्सेदारी रियो ओलिंपिक (2016) में देश से 117 खिलाड़ियों की रही वही

टोक्यो ओलंपिक में 122 खिलाड़ियों में से 30 रही, यानी हरियाणा की कुल हिस्सेदारी तकरीबन 24 प्रतिशत।

हरियाणा का दबदबा कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे कॉम्बैट स्पोर्ट्स में रहता ही है। भारत के सात राज्य ऐसे थे, जहां

से एक भी खिलाड़ी भारतीय ओलिंपिक दल का हिस्सा नहीं बना था। 10 करोड़ की आबादी वाला बिहार इसमें

सबसे बड़ा राज्य था। बिहार के अलावा छत्तीसगढ़, गोवा, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा से भी कोई खिलाड़ी

ओलिंपिक में हिस्सा नहीं ले पाया था।

अब आगे क्या?

भारत का अगला लक्ष्य एशियन गेम्स है, जो कि इसी साल सितंबर-अक्तूबर में चीन के ह्वांगझू में होना है।

हालांकि, इस टूर्नामेंट से पहले विवादों ने भारतीय स्पोर्ट्स को एक बार फिर कटघरे में ला खड़ा किया है। पिछले

साल हुए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के बाद से कोई भी स्टार पहलवान किसी भी तरह की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय

प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाया है। अब इससे एशियन गेम्स में भारत के पदकों पर कितना प्रभाव पड़ेगा यह

तो देखने वाली बात होगी।

दोस्तों बात करें कि केन्द्र सरकार का क्या कहना....  तो सरकार की तरफ से कोई बयान इसे लेकर नहीं आया है,

लेकिन जब मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संगीन बताया तो दिल्ली पुलिस ने एक नाबालिग रेसलर से यौन शोषण के


मामले में बृजभूषण पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है, वहीं रेसलर्स का कहना है कि जब तक बृज भूषण

सिंह गिरफ्तार नहीं हो जाते हम प्रदर्शन नहीं खत्म करेंगे